दलित उत्पीड़न के खिलाफ सोमवार को राजघाट पर कांग्रेस के एक दिवसीय उपवास का मजाक बन गया. उपवास के पहले ही छोले-भटूरे खाते हुए नेताओं की तस्वीर वायरल होने से चर्चा का रुख ही पलट गया. इस उपवास में राहुल गांधी ने भी हिस्सा लिया. बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस नेताओं ने लोगों को राजघाट पर बुलाया और खुद उपवास से पहले रेस्टोरेंट में पहुंच गए. जिसके बाद राहुल का ये उपवास विवादों में घिर कर रह गया.
उपवास से पहले 'छोले-भटूरे' वाली पार्टी
दरअसल दिल्ली कांग्रेस के नेता उपवास से पहले चांदनी चौक के मशहूर छेनाराम की दुकान पर बैठकर खाते छोले-भटूरे खाते देखे गए. कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन यहां भी अध्यक्षता कर रहे थे. उनके एक ओर हारून युसूफ थे और टेबल के दूसरी तरफ अरविंदर सिंह लवली. साथ में गाजर का अचार, भुनी हुई हरी मिर्च और मसालेदार आलू. उपवासी नेताओं के मुख पर तृप्ति के भाव देखकर शायद आज गांधी जी भी धन्य हो जाते.
कांग्रेसियों के छोले-भटूरे की पार्टी का खुलासा बीजेपी नेता हरीश खुराना ने किया. खुराना ने एक तस्वीर पोस्ट की, जिसमें कांग्रेस नेता अजय माकन, हारुन युसूफ, अरविंदर सिंह लवली छोले-भटूरे खा रहे हैं. हरीश खुराना दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता मदन लाल खुराना के बेटे हैं. कांग्रेस नेता अरविंदर सिंह लवली ने इस तस्वीर के सही होने की बात भी स्वीकार कर ली.
टाइटलर-सज्जन मंच से आउट!
राहुल गांधी के उपवास वाले स्थल पर पहुंचने से पहले भी एक विवाद हुआ. राजघाट से कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर और सज्जन कुमार को वापस भेज दिया गया. बताया जा रहा है कि जैसे ही टाइटलर वहां पहुंचे तो अजय माकन ने उनके कान में कुछ कहा, जिसके बाद वो वापस चले गए. जगदीश टाइटलर और सज्जन कुमार 1984 में हुए सिख दंगों के आरोपी हैं. हालांकि, जगदीश टाइटलर ने कहा है कि वह कहीं नहीं जा रहे हैं, बल्कि जनता के बीच में जाकर बैठेंगे.
इसके बाद मीडिया में जैसे ही टाइटलर और सज्जन कुमार को राजघाट से वापस भेजने की खबरें चलीं, बीजेपी ने कांग्रेस पर हमला कर दिया. बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि कांग्रेस ने आज इन दोनों नेताओं के राजघाट से वापस भेजकर एक तरह कबूल कर ली है कि 1984 में जो कत्लेआम हुआ था, उसमें कांग्रेस नेता दोषी हैं.
उपवास स्थल से भीड़ गायब
दो विवादों के बाद जैसे ही राहुल गांधी राजघाट पहुंचे, वहां से लोगों की भीड़ कम होने लगी. क्योंकि पहले तो राहुल के आने का वक्त सुबह 11 बजे बताया जा रहा था, लेकिन जब राहुल गांधी वक्त पर नहीं पहुंचे और वहां से जगदीश टाइटलर और सज्जन कुमार को वापस भेजने की खबरें आ गईं. इस विवाद पर कांग्रेसी सफाई दे ही रहे थे कि राहुल के साथ उपवास में शामिल होने वाले कांग्रेस नेताओं के छोले-भटूरे खाने की खबर आ गई. शायद लगातार विवाद की वजह से आम कार्यकर्ता राजघाट से वापस चले गए. क्योंकि वो सुबह-सुबह उपवास में शामिल होने के लिए राजघाट पहुंचे थे. क्योंकि जितनी भीड़ सुबह 10 बजे तक राजघाट पर थी, वो राहुल के पहुंचने तक छट चुकी थी.
हालांकि देर ही सही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सांकेतिक उपवास के लिए राजघाट पहुंचे. यहां पहुंचते ही राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर जातिवादी और दलित विरोधी होने का आरोप लगाया और कहा कि BJP की दमनकारी विचाराधारा के खिलाफ उनकी पार्टी हमेशा खड़ी रहेगी.
गौरतलब है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी की प्रदेश इकाइयों के प्रमुखों को समाज के सभी वर्गों में सौहार्द्र को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रव्यापी उपवास रखने के निर्देश दिया था. दिल्ली के अलावा पूरे देश में तमाम नेता और कार्यकर्ता कांग्रेस मुख्यालयों पर अपना उपवास रख रहे थे.