नई दिल्लीः एशियाई विकास बैंक यानी एडीबी का अनुमान है कि पहली अप्रैल से शुरु हुए चालू कारोबारी साल यानी 2018-19 के दौरान दो सालों से विकास दर में हो रही गिरावट पर ब्रेक लगेगा और ये दर 7.3 फीसदी रहेगी. वहीं अगले कारोबारी साल यानी 2019-20 में ये दर तेज होकर 7.6 फीसदी पर पहुंच सकती है.
बुधवार को जारी अपनी रिपोर्ट एशियन डेवलपमेंट आउटलुक यानी एडीओ में बैंक का कहना है कि भारत एशिया में सबसे तेजी से विकास करने वाला देश रहेगा. इसकी वजह ये है कि चीन की विकास दर 2017 में घटकर 6.9 फीसदी, 2018 में 6.6 फीसदी और 2019 में 6.4 फीसदी रहने का अनुमान है. बैंक की मानें तो अमेरिका की ओर से व्यापार संरक्षण नीतियों का एशियाई देशों के आयात-निर्यात पर अभी तक असर देखने को नहीं मिला है. हालांकि बैंक चाहता है कि भारत ऐसे कदम को लेकर सतर्क रहे.
बैंक के मुताबिक, भारत में वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी जैसे सुधारों का थोड़े समय में कुछ बुरा प्रभाव देखने को मिला हो, लेकिन इन्ही सुधारों की वजह से आने वाले दिनों में विकास की रफ्तार तेज होगी. उदारीकरण की वजह से विदेशी निवेश बढ़ रहा है, वहीं कारोबारी माहौल सुगम बनाने के सरकार के प्रयासों का भी विकास पर अच्छा असर पड़ेगा. बैंक ये मानता है कि नोटबंदी ने कुछ हद तक वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान विकास दर को प्रभावित किया जिसकी वजह ये दर घटकर 6.6 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था जबकि 2016-17 में दर 7.1 फीसदी दर्ज की गयी थी. ध्यान रहे कि 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी लागू किया गया था.
बैंक के मुताबिक, विकास की रफ्तार बढ़ाने में कृषि पैदावारों की खरीद कीमत बढ़ाने से किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी, कृषि बाजार में सुधार और सिंचाई के लिए ज्यादा निवेश जैसे तथ्यों की अहम भूमिका होगी. वैसे निवेश की स्थिति में सुधार के आसार हैं, लेकिन ये रफ्तार अभी धीमी ही रहेगी, क्यंकि बैंक जहां अपने बैलेंसशीट को दुरुस्त करने में लगे हैं, वहीं कंपनियां अपने मौजूदा क्षमता का पहले पूरी तरह से दोहन करना चाहती है.
महंगाई दर को लेकर रिपोर्ट में कहा गया है कि ये चालू कारोबारी साल में 4.6 फीसदी और अगले साल 5 फीसदी रह सकती है. चूंकि दूनिया भर में जिंसों के दाम बढ़ रहे हैं, साथ ही घरेलू मांग की स्थिति भी सुधर रही है तो इसका असर महंगाई दर पर देखने को मिल सकता है. चूंकि सरकारी खजाने के घाटे में कमी के लक्ष्य को पहले ही बढ़ाया जा चुका है, साथ ही अमेरिकी फेडरेल रिजर्व बैंक भी ब्याज दर बढ़ाने की तैयारी में है, ऐसे में नीतिगत ब्याज दर यानी रेपो रेट में फिलहाल कमी की उम्मीद नहीं.